जन की महिमा केतक बरनउ जो प्रभ अपने भाणे।
कहु नानक जिन सतिगुरु भेटिआ से सभ ते भए निकाणे।।
ऐसे गुरमुखों की अवस्था का नाम ही संत भगत गुरसिख है।ऐसे ही गुरमुख प्यारे जिनका जनम पंजाब में हुआ;यह याद रहे कि पंजाब की धरती का कण-कण पवित्र है,जहाँ दसों पातशाहियों के चरण पड़े।
श्री गुरू गोबिंद सिंघ जी महाराज द्वारा चलाई हुई संस्था के मुखी भाई साहिब भाई दया सिंघ जी,उनसे ग्यारहवें स्थान पर श्रीमान संत बाबा वरियाम सिंघ जी रतवाड़ा साहिब वालों से वरोसाए हुए इस माला के अनमोल और सर्वोत्तम रत्न-
जग महि उतम काढीअहि विरले केई केइ .......
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